Thursday, November 26, 2020

बच्चों में बच्चे बन गए थे प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो यशपाल

बच्चों में बच्चे बन गए थे प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो यशपाल

आज विख्यात वैज्ञानिक पदम् विभूषण प्रो यशपाल का जन्मदिन है  उन्होंने इस देश को।जो दिया है, उसे भुलाया नहीं जा सकता।
प्रोफेसर साहब से मेरी मुलाकात करीब 15 वर्ष पूर्व बल्केश्वर के सेंट एंड्रूज स्कूल में हुई। मैंने वहां उनका इंटरव्यू लिया था। उन्होंने उस समय भारत मे हो रही वैज्ञानिक तरक्की के बारे में विस्तार से बताया। वहीं उनका कहना था कि।नई पीढ़ी के प्रति वे बहुत आशान्वित हैं। कार्यक्रम के दौरान भी उन्होंने छोटे विद्यार्थियों के साथ अपनापन दिखाया। उनसे प्रश्न किये व उनके प्रश्नों के जवाब भी दिए। उन्होंने गणित की कठिनाइयों के सरल तरीके भी बताए। इतना महान व्यक्तित्व इतना सरल और सहज होगा। कोई सोच नहीं सकता था। मैं उन्हें श्रद्धा पूर्वक नमन करता हूँ।
यह चित्र प्रो यशपाल जी से बात करते हुए है।साथ मे भाई सेंट एन्ड्रूज स्कूल के स्वामी डॉ गिरधर शर्मा और पत्रकार भाई राम कुमार शर्मा हैं।
किरणों के अध्ययन में अपने योगदान के लिए यशपाल जी ने 1949 में पंजाब विश्वविद्यालय से भौतिकी में मास्टर्स की हासिल की थी। 
उन्होंने 1958 में मासाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए 1976 में वह पद्म भूषण से नवाजे गए थे।लोक प्रशासन, शिक्षा और प्रबंधन में उत्कृष्ट काम के लिए अक्टूबर 2011 में उन्हें लाल बहादुर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

नहीं बना सका मनोरमा जी के सपनों का गांधी स्मारक

नहीं बना सका मनोरमा जी के सपनों का गांधी स्मारक

सर्वोदय विचारक, गांधीवादी आदरणीय श्रीमती मनोरमा शर्मा बहन जी ने शहर को अनेक आयाम प्रदान किए। कुछ सपनों को भी संजोया, जिसके लिए जीवन भर उन्होंने इसके प्रयास किए। जो सपने उन्होंने संजोए, जीते जी तो पूरे हो सकते थे, लेकिन उनकी आंख समय से पहले ही मिचने के कारण वे सपने अधूरे रह गए। उनमें एक सपना था यमुना पार स्थित गांधी स्मारक को पर्यटन केंद्र बनाने का। उसका उन्होंने कायाकल्प करा दिया था। वे चाहती थीं कि जो भी पर्यटक एत्माद्दोला का अवलोकन करने आएं, वे गांधी स्मारक भी देंखे। इसी प्रकार सपेरों का गांव के पास सकलपुर का उन्होंने विकास किया। उसके और अधिक विकास का सपना था। इन कार्यों से मुझे अवगत कराती रहती थीं, मुझे अक्सर इन स्थलों पर ले जाती थीं।

ये दोनों सपने उनके अभी तक अधूरे हैं। शासन, प्रशासन हमेशा दबाव की राजनीति करता है। जहां तक का विकास मनोरमा बहन जी ने कराया, उसके आगे कुछ नहीं बढ़ा, बल्कि उपेक्षा के कारण फिर से गांधी स्मारक दुर्गति की ओर है।

बहन जी ने अपने स्तर पर बड़े बड़े कार्यक्रम आगरा में कराए। एक लाख से अधिक लोगों की यमुना यात्रा का स्वागत उन्होंने आगरा में कराया, उनकी व्यवस्था कराई थी। उनका बल्केश्वर स्थित आवास पर देश के प्रमुख लोगों का आवागमन रहता था। मैंने यहाँ तांत्रिक श्री चंद्रास्वामी से दो बार मुलाकात की। यहीं पर गांधीवादी एसएन सुब्बाराब, मेधा पाटेकर, स्वामी अग्निवेश, जल पुरुष राजेंद्र आदि तमाम लोगों से साक्षात्कार लिए थे।

बहन जी का स्नेह हम लोगों पर सदैव रहा। हर हफ्ते किसी न किसी बहाने से मुलाकात और दो-चार बार फोन करना, यह उनकी आदत में शुमार था, यानि उनकी यह हम पर बड़ी कृपा थी। हमें कभी कोई दुख न हो, इसका पूरा ध्यान रखती थीं। उनका ममत्व अब हमेशा याद आता है। उनसे बिछ़ुड़े भले ही 12 साल हो गए, आज भी उनकी छवि आंखों में समाई रहती है।
उनके द्वारा स्थापित महिला शांति सेना का नेतृत्व उनकी पुत्रवधु श्रीमती वत्सला प्रभाकर कर रही है।

आज बहनजी की परम पुण्य तिथि पर कोटि-कोटि नमन करता हूं।

-आदर्श नंदन गुप्त, वरिष्ठ पत्रकार