Sunday, July 9, 2023

तोरा गांव के मोगरा से महके बांके बिहारी मंदिर


तोरा गांव के मोगरा से महक रहा बांके बिहारी मंदिर
चार कुंतल प्रतिदिन आगरा से मथुरा-वृंदावन जाता है यह फूल
रोजाना सजाये जा रहे हैं आकर्षक फूल बंगला 

प्रस्तुति-आदर्श नंदन गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार
आगराः वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में प्रवेश करते ही आनंद की फुहार तन-मन को प्रफुल्लित कर देती है। मंद-मंद बयार के साथ आनंदित कर देने वाली सुंगध भगवान की भक्ति में विभोर कर देती है। मोतियों की तरह लटकते फूलों की लड़ियां, उनकी डिजाइनर आकृतियां भी फूल बंगला की छटा को और अधिक मनोहारी कर देते हैं। इन्हीं फूलों की माला पूरे मथुरा-वृंदावन में विक्रय के लिए उपलब्ध रहती हैं, अपने आराध्य को अर्पित करने के लिए, अपने जीवन को सुवासित करने  के लिए। 
जिस मोगरा के फूल की यह सुगंध भक्ति में विभोर करती हैं, वह फूल आगरा में ताजगंज के गांव तोरा से जाता है।  इन  फूलों से वहां नियमित फूल बंगला सजाया जा रहा है, जिसकी सुगंध पूरे देश में फैल रही है। देशभर से आने वाले श्रद्धालु भी मोगरा की माला अपने साथ प्रसाद के रूप में ले जाते हैं। बांके बिहारी मंदिर के अतिरिक्त मथुरा और वृंदावन के अन्य मंदिरों में फूल बंगला जाने के लिए भी यह मोगरा भेजा रहा है। 
तोरा गांव फूलों की खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां के 15 किसान लंबे समय से मोगरा की ही खेती करते हैं। यह मोगरा आगरा के आसपास के अन्य शहरों में नाममात्र का होता है। तोरा गांव में इसकी भरपूर खेती होती है, जिससे यह फूल अहमदाबाद, जयपुर, अजमेर सहित अन्य शहरों में भी आगरा से ही जाता है। मोगरा की खेती करने वाले हिमांशु पाराशऱ ने बताया कि यहां करीब सौ बीघा खेत में यह फसल होती है। एक बार खेत में इसकी पौध लगने के बाद 30-35 साल तक फिर से पौधारोपण की जरूरत नहीं पड़ती। हर साल नव दुर्गा के बाद यह फसल होने लगती है। और जन्माष्टमी के आसपास यह फूल आना खत्म हो जाता है। मोगरा की खेती मनीष पाराशर, हरीकांत दीक्षित, कुंवरपाल राजपूत, कालीचरन आदि करते हैं। 
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बांके बिहारी को पसंद है मोगरा की सुगंध 
भगवान  बांके बिहारी को मोगरा के फूल की सुंगध बहुत पसंद है। इन दिनों इनकी इसी फूल की माला भी उन्हें अर्पित की जाती है। मोगरा के फूल के इत्र से भी ठाकुरजी की सेवा की जाती है। मोगरे की खुशबू से शीतलता का आभास होता है। 
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(वर्जन)
तोरा गांव से प्रतिदिन बांकेबिहारी जी मंदिर व अन्य मंदिरों के लिए मथुरा और वृंदावन प्रतिदिन 3 से 4 कुंतल प्रतिदिन मोगरा का फूल जाता है। यह गांव के लिए नहीं, आगरा जनपद के लिए गौरव की बात है। पहले गोकुल और अब गोवर्धन में भी इस फूल की खेती होनी लगी है, लेकिन नाममात्र को होती है। तोरा गांव में फूल की जो फसल होती हैं, उसका मुकाबला कहीं नहीं है। 
-नवीन पाराशर, अध्यक्ष-आगरा फूल व्यवसाय एसोसिएशन

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