अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाये,,,,
हमने दीपावली के कुछ अनमोल क्षण बिताए पदम् विभूषण विख्यात गीतकार परम आदरणीय गोपालदास नीरज जी के साथ।बलकेश्वर स्थित उनके आवास पर जाकर। उनका यहां आज अल्प प्रवास था। हमारे शहर की प्रमुख चित्रकार एवं कवयित्री पूनम भार्गव और मेरा बड़ा पुत्र अभिनंदन भी साथ था।मेने नीरज जी को पूज्य पिताजी द्वारा लिखित उर्मिला के 14 वर्ष पुस्तक तथा अपने द्वारा संपादित विल्वकेश्वर महादेव मंदिर की स्मारिका भेंट की।लेकिन मुख्य उद्देश्य दीपावली पर लिखी उनकी कालजयी रचना अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाये सुनना था। उनकी आवाज भले ही कम समझ मे आई। पर उनमे वही तन्मयता और चेहरे पर उल्लास था। उन्होंने इस गीत की पंक्तिया सुनाकर हमें गौरवान्वित किया आज की यह मुलाकात बहुत गोवशाली रही। यह दीपावली हमेशा याद रहेगी।
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