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उस्ताद बिस्मिल्ला खान का इंटरव्यू लेते हुए |
वाह उस्ताद बिस्मिल्ला खां
19 फरवरी 2000 को वरिष्ठ पत्रकार श्री विवेक जैन द्वारा मेरे साथ शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहिब का लिया इंटरव्यू ,
पढियेगा जरूर, कई प्रश्नों के बहुत रोचक जवाब दिए थे खान साहिब ने
प्रश्न: 1- पॉप संगीत के तूफान में भारतीय संगीत की वर्तमान समय में क्या स्थिति है?
जवाब- पॉप संगीत भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं है क्योंकि भारतीय संगीत एक साधना है उसे वर्षों तक परिश्रम करके सीखना पड़ता है और जो वर्षों तक रियाज करने के पश्चात आता है।पाश्चात्य नृत्य इससे बिल्कुल उल्टा है उसे सीखने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। मेरा यह मानना है कि प्रत्येक भारतवासी अपने बच्चों को भारतीय संगीत अवश्य सिखाएं। यदि 10 में से 4 बच्चे भी इस संगीत को सीख गए तो हमारी संस्कृति बनी रहेगी। हम बड़ी मुश्किल से इस मुकाम पर अपनी संस्कृति को बचाकर लाए हैं। क्या हमारे यहां नृत्य नहीं है लेकिन इसमें फर्क है कि भारतीय नृत्य सिखाया जाता है, तब भी आसानी से नहीं आता जबकि विदेशी नृत्य बिना सिखाये आ जाता है। ऐसा प्रयास करें कि शास्त्रीय संगीत मर नहीं जाए।
2- वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर आपका क्या कहना है ?
जवाब - आजादी के बाद हम एक हैं। हिंदू मुसलमान सभी एक हैं ।अब क्यों लड़ते हो ? एक बार नीति बनाकर सभी नेता अमल करें लेकिन सब आपस में लड़ रहे हैं। मेरी सभी राजनीतिक को सलाह है कि संगीत सीखे लड़ाई खत्म हो जाएगी।
3- आज संगीत में रीमिक्स हो रहा है, पाश्चात्य संगीत के साथ शास्त्रीय संगीत के साथ नए नए प्रयोग हो रहे हैं।क्या आप भी ऐसा कोई प्रयोग कर रहे हैं ?
जवाब - पहले सुनिए, गौर कीजिए ,हमारे यहां इतने राग हैं, पांच राग ,तीस रागनियां, छह राग, छत्तीस रागनियां, एक राग के पांच और उसके पुत्र और भांजे आठ आठ हैं ।कुल मिलाकर देखिए कितने हुए ? बिलावल, तोड़ी ,भैरव कितने हैं ? हमें प्योर राग लेकर चलना है मिक्स नहीं करना है।
4- युवा पीढ़ी को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
जवाब- पढ़ना जरूर है, लेकिन कामकाज के साथ। संगीत अवश्य आना चाहिए। भजन गाये, रियाज करें। संगीत से पीछे नहीं हटना है तभी हमारी संस्कृति कायम रह सकेगी।
5- टीवी व मीडिया ने जो हमारी संस्कृति को दूषित कर दिया है तो हम किस तरह पुरानी संस्कृति में लौट सकते हैं ?
जवाब - अब वह समय लौटकर नहीं आएगा। जो बिना सिखाए आ रहा है, वही बढ़ेगा। जो सिखाने पर भी नहीं आ रहा उसका क्या भविष्य है ?
6- किसी राष्ट्रीय नेता ने आपके शहनाई सुनी हो तब का कोई प्रसंग या संस्मरण वो तो है वह सुनाएं ?
जवाब - पंडित जी और इंदिरा जी मुझे बहुत मानते थे। एक बार 15-20 कलाकारों का एक कार्यक्रम था, इंदिरा जी भी आई थी ।कार्यक्रम की शुरुआत मेरी शहनाई से हुई ।जैसे ही हमने "रघुपति राघव राजा राम" की धुन बजाई वे मस्त हो गई और एकाग्र चित्त होकर सुनती रही। मेरी शहनाई वादन के बाद वह चली गई।
7- ताज महल के बारे में बताएं ।क्या कभी ताजमहल के चबूतरे पर बैठकर शहनाई बजाने का मन नहीं हुआ ?
जवाब - बेमिसाल है, चीज़ ऐसी है कि जवाब नहीं। दुनिया वाले इसकी नकल करके ले जाते हैं ।हम जब भी आए हैं ताजमहल खूब घूमे हैं ।अभी ज़ी टीवी के एक कार्यक्रम में आए थे। तब ताजमहल के पीछे एक 5 मिनट का कार्यक्रम दिया था।
8 - अगर आपको देश का मुखिया बना दिया जाए तब ?
जवाब- इस लायक नहीं है। लेकिन अगर हमको बना दिया गया बाबू ,तो यकीन मानिए राष्ट्रपति 10 राग 5 ताल याद हो तब, वजीर ए आजम 8 राग चार ताल याद हो तब। यह सब होगा तब जगह देंगे।
9- नई पीढ़ी से उम्मीदें ?
जवाब - किसी भी विद्यालय ने पंडित रविशंकर,उस्ताद अमजद अली खान नहीं दिए।क्योंकि वहां शिक्षा दी जाती है लेकिन रियाज नहीं कराते।
10- शहनाई का क्या भविष्य है ?
जवाब - रहेगी, हमारे मामू, परनाना, दादा, परदादा ने बजाया ।एक दो अवश्य से निकलेंगे,जो बजाएंगे।हमने एक रुपए का सवा सेर घी खाया है जो अब नहीं मिलता। दम का काम है फूंक मारनी पड़ती है, अब वह ग़िज़ा कहां से दें।रियाज ही रह गई है। कौन आएगा हम नहीं जानते ? मालिक शहनाई को सुर देगा तो आदमी भी देगा।
11- सबसे अच्छा जीवन का कार्यक्रम ?
जवाब- अब्दुल करीम खान तोड़ी अच्छा गाते थे।मुंबई के राज महल बिल्डिंग में ठहरे थे ।अब्दुल करीम कुछ साल पहले गुजर गए थे,उनकी याद में एक कार्यक्रम था। लोग लिवाने आ गए ,वहां चले गए। करीम खान के चित्र के पास शहनाई बजाई।तोड़ी बजाई तो देखा लोगों की आंखों में आंसू थे,हिचकी बंध गई। एक बुढ़िया बोली, कौन कहता है कि अब्दुल करीम खा नहीं रहे ।ऐसी तोड़ी जीवन में फिर नहीं बजा पाया।
12- आपकी जवानी व जिंदादिली का राज ?
जवाब- (हंसते हुए) जवानी का राज कुछ भी नहीं है। केवल संगीत व संगीत से लगाव है।हमें दुनियादारी से ज्यादा वास्ता नहीं है। आज भी पांचों वक्त की नमाज व अल्लाह का करम है।