Thursday, April 23, 2020


स्व श्री रवींद्र जैन जी की का साक्षात्कार लेते हुए 

                                       रवींद्र जैन - एक महान गायक व संगीतकार 


दूरदर्शन के tv सीरियल रामायण में जैसे ही चौपाइयां सुनाई देती है मन श्रद्धा से उमड़ पड़ता हैं। उन्ही रविन्द्र जैन से एक गौरवशाली मुलाकात व साक्षात्कार।साथ हैं पत्रकार साथी डॉ महेश धाकड़, मोहन शर्मा,मनोज मिश्रा।
जन्मजात नेत्रहीन संगीतकार रविन्द्र जैन, जिन्होंने दूरदर्शन पर रामानंद सागर की रामायण को सुर और संगीत दिया।
जन्मजात नेत्रहीन संगीतकार , जिन्होंने रामायण की चौपाईयों को जीवंत किय।

रविन्द्र जैन का जन्म 28 फरवरी 1944 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में हुआ था |
1960 में प्रतिभूषण भट्टाचार्य उनको मुंबई लेकर गए और उनको फिल्मों में काम दिलाया | उन्होंने सौदागर ,चोर मचाये शोर , गीत गाता चल , चितचोर , दुल्हन वही जो पिया मन भाये , पहेली , अंखियों के झरोखे से और नदिया से पार जैसी मशहूर फिल्मों के लिए संगीत दिया | संगीत के साथ साथ उन्होंने कई गीत लिखना भी शुरू कर दिया था। रविन्द्र जैन ने मो.रफी , किशोर कुमार और येसुदास जैसे महान गायकों के साथ काम किया | उन्होंने फिल्मों से काफी नाम कमाया, लेकिन उनको असली शोहरत टीवी से मिली | उन्होंने 80 के दशक से लेकर तीन दशकों तक टीवी जगत के लिए ना केवल संगीत दिया बल्कि कई गाने भी गाये | रामानदं सागर की रामायण से सबसे पहले उन्होंने अपने टीवी करियर की शरुआत की, जिसमें उन्हों संगीत भी दिया और रामायण का शीर्षक गीत और चौपाइया भी गायीं।| आज भी आपको उनकी चौपाई “मंगल भवन अमंगल हारी ” याद होगी जिसे हम उन्ही के संगीत और स्वरों में आज गाते है | बचपन से ही भजनों का शौक रखने वाले रविन्द्र जैन ने पूरे दिल से रामायण के लिए संगीत दिया |
इसके बाद दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिकों अलिफ़ लैला ,श्री कृष्णा , जय गंगा मैया , साईं बाबा और माँ दुर्गा जैसे पौराणिक धारावाहिकों में रामानन्द सागर के साथ काम किया | 9 अक्टूबर 2015 को 71 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।

No comments:

Post a Comment