Tuesday, July 23, 2024

गुमनाम क्रांतिकारी शंभूनाथ आजाद

गुमनाम क्रांतिकारी.....
शंभूनाथ आजाद के खौफ से कांप उठा था मद्रास का अंग्रेज गर्वनर 
बम और पिस्तौल के साथ पहुंचे थे उसका वध करने
ऊटी में बैंक में डाली थी डकैती, लूटे थे एक लाख रुपये
--प्रस्तुति-आदर्श नंदन गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार


भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में काकोरी कांड, कानपुर कांड, मेरठ कांड, लाहौर कांड आदि घटनाएं विख्यात रहीं, उसी प्रकार उटी मद्रास बम कांड मशहूर है, जिसके नायक शंभूनाथ आजाद आगरा की तहसील बाह में कचौराघाट के थे, जो मद्रास के गवर्नर को बमों से उड़ाने अपने साथियों के साथ पहुंच गए। उन्हें भले ही सफलता नहीं मिली, लेकिन अंग्रेज सरकार उनसे इतनी आतंकित हो गई कि उन्हें कालेपानी की सजा दी। कई बार वे जेल गए। सब कुछ सहा। आजादी के बाद उन्होंने अपनी शेष जिदंगी अपने गांव कचौरा घाट में ही बिताई। 
बड़ी विचित्र और जौहरशाली दास्तां है शंभूनाथ आजाद की। 26 जनवरी सन् 1908 में जन्मे आजाद जब आठ वर्ष के थे, तभी उनके पिता शंकर लाल रिछारिया व माताजी का देवलोक गमन हो गया। वे काम की तलाश में पंजाब चले गये। वहां उनकी मुलाकात क्रांतिकारियों से हुई और वे उनके संगठन हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ और अनुशीलन समिति के सदस्य बन गए। वे दिल्ली में विभिन्न राज्यों से अस्त्र-शस्त्रों  का संकलन करते थे। हथियारों को बुलंदशहर ले जाते समय पुलिस ने पकड़ लिया। दो साल की सजा हो गयी थी।
 बोस्टर्न जेल में इन्होंने सिविल एंड मिलट्री गजट समाचार पत्र में मद्रास के गोरे गवर्नर का बयान पढ़ा-“इस प्रांत की जनता राजभक्त है, इसलिए क्रांतिकारियों की दाल नहीं गलती”। 
इसे पढ़ कर आजाद बौखला गए और मद्रास के गवर्नर को उड़ाने की योजना बना ली। योजना बनी ही थी कि मनोली कांड (अंबाला केस) में प्रमुख अभियुक्त बना कर उन्हें जेल भेज दिया। मुकदमे में आजाद बरी हो गए। इसके बाद वे मद्रास के गवर्नर का वध करने के लिए फिर सक्रिय हो गए। तीन अच्छी क्वालिटी के रिवाल्वर खरीद ली। नौ साथियों के साथ  ये अपने लक्ष्य पर रवाना हो गए। 
धन की कमी को पूरा करने के लिए वे और उनके साथी ऊटी पहुंचे, यहां पर मैन मार्केट में ऊट कमांड नेशनल बैंक में डकैती डालकर एक लाख से अधिक रूपया लूट लिया। रुपये लेकर मद्रास पहुंचे, लेकिन उनके नौ साथियों में चार साथी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिये।  
संकट पर संकट आते गए, लेकिन आजाद का लक्ष्य निर्धारित था। मुखबिर और सीआईडी ने मद्रास में यह खबर दे दी थी कि गर्वनर एंडरसन और वहां पहुंचे बंगाल के गर्वनर को गोलियों और बमों से उड़ा दिया जाएगा। आजाद और उनके साथियों ने बहुत सारे बम तैयार कर लिए थे। पुलिस के तीन सौ जवानों ने धावा बोल दिया। उनमें और क्रांतिकारियों में जम कर संघर्ष हुआ। जब सारे बम और गोलियां खत्म हो गई तो धूएं वाला बम चलाकर ये क्रांतिकारी वहां से फरार हो गए। इस कांड में उनके एक साथी गोविंदराम बहल गोली लगने से शहीद हो गए। कुछ समय बाद आजाद सहित अन्य सभी साथी गिरफ्तार कर लिए  गए। 
सात जुलाई 1933 को स्पेशल जज गोविंद मैनन की अदालत में आजाद व उनके साथियों को पेश किया गया। इन सहित पांच साथियों पर ऊटी बैंक डकैती का मुकदमा  चला। आजाद को 25 साल की सजा हुई।  9 अगस्त 1933 को मद्रास सिटी बम कांड में इन्हें व दो क्रांतिकारियों  को 20-20 साल के काले पानी की सजा हो गई। लेकिन 1938 में अन्य क्रांतिकारियों के साथ आजाद को भी रिहा कर दिया गया था। इसके बाद भी वे क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रहे। जेल जाते, उत्पीड़न सहते। फिर छूट जाते। यही क्रम भारत के आजाद होने तक चलता रहा। जिन साथियों ने इनके साथ क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया, उनमें रामचंद्र भट्ट, नरेंद्र पाठक, लज्जाराम, आनंद स्वरूप, सियाराम आदि थे। एक साथी रोशनलाल बम परीक्षण में विस्फोट हो जाने से शहीद हो गए थे।  12 अगस्त 1985 शंभूनाथ आजाद इस संसार से विदा हो गए। 
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गांव में बनाया शहीद स्मारक
आजादी के बाद शंभूनाथ आजाद अपने गांव लौट आए। सरकार ने जो पेंशन दी, उससे उन्होंने ही शहीद स्मारक बनवाया। उसमें शहीदों के चित्र लगाए। बाह में इनकी स्मृति में शासन ने एक अस्पताल भी बनवाया है। 
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वर्जन 
 आजाद जी के बारे में देश के तमाम क्रांतिकारियों ने लिखा है। पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने भी अखंड ज्योति पत्रिका के स्वाधीनता दिवस विशेषांक में आजाद जी के बारे में अपने विचार लिखे थे। 
 --श्रीकृष्ण शर्मा, भतीजे
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मुझे गर्व होता है जब मेरे बाबा की वजह मुझे स्कूल, कालेज व अन्य जगह सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। बाबा ने जो देशभक्ति पूर्ण कार्य किए, वे हम सबके लिए ही नहीं, हम जैसे सभी युवाओं के लिए प्रेरणाप्रद होंगे। 
शिवा शर्मा, पौत्र 
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शंभूनाथ हमारे गांव के दो बार प्रधान चुने गए। वे देश के विकास के साथ-साथ अपने गांव के विकास की चिंता करते थे। उन्होंने समाज को जो दिया, वो शायद ही कोई दे पाए।
-शिशुपाल सिंह यादव, सेवानिवृत रोडवेज कर्मी

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आदर्श नंदन गुप्ता, मोबाइल नंबर 9837069255

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