Thursday, October 8, 2020

एक पर्ची से अपनी जैसी हो गई थीं आशा भोसले जी

23 जनवरी 2005 की बात है। हमारे एक मित्र से पता चला कि सुर साम्राज्ञी आशा भोसले जी किसी कार्यक्रम से लौटते हुए होटल ताजव्यू में रुकी हुई हैं। कुछ समय ही उनका प्रवास रहेगा। मैं होटल पहुंचा। मैं दैनिक जागरण से था और अमर उजाला से भाई कुमाल ललित पहुंच गए। होटल में किसी तरह मैंने जुगाड़ बनाई तो उनका रूम नंबर पता  चला गया। फोन मिलाया तो आशाजी के पीए ने उठाया। वह होटल की लाबी में आया और कह दिया कि आईजी, डीआईजी, कमिश्नर साहब के भी फोन आ रहे हैं, लेकिन आशाजी किसी से नहीं मिल रहीं। वे रियाज कर रही हैं।

  मैं निराश हो रहा था, इतनी बड़ी शख्सियत से बिना मिले लौटने पर। अचानक मैंने उनके पीए से कहा कि तुम बस मेरी एक पर्ची उन्हें दे देना। मना करती हैं तो लौट जाएंगे। मैंने बहुत ही विनम्रता के साथ लिखा कि मुझे 15 साल अनवरत सांस्कृतिक पत्रकारिता करते हुए हो गए। मेरे सामने पहली बार प्रेम की इस नगरी में आपका पदार्पण हुआ है। अब फिर न जाने कब आना होगा। आज आपके दर्शन न हुए तो मेरी 15 साल की पत्रकारिता की साधना अधूरी रह जाएगी। बस पांच मिनट का समय दे दी दीजिए।

पीए ने पर्ची उन्हें दी, कुछ ही पल बाद बुलावा आ गया। पीए न सख्त हिदायत दी कि पांच मिनट से ज्यादा समय मत लेना। हमने स्वीकरोक्ति में हां कह दी और पहुंच गए कक्ष में। हम दोनों (मैं और कुमार ललित) ने उनके चरण स्पर्श किए। बातचीत शुरू की। फिल्मों से संबंधित बहुत सारी बातें हुई। वर्ष 1957 में रिलीज हुआ आगरा रोड फिल्म की चर्चा की। उसमें उन्होंने गीत गाया है- सुनो सुनाएं तो तुम्हें एक छोटी सी कहानी। हमारे व्यवहार से तो फिर वे अपनी जैसी ही हो गईं। पांच मिनट के जब 20 मिनट हो गए तो पीए आंख से इशारा करे, लेकिन वे तो अपने घर, परिवार की बातें भी करने लगीं थीं। मुझे आश्चर्य हुआ कि इतनी बड़ी शख्सियत और हमें इतना स्नेह दे रही हैं। हम दोनों ने आधा घंटे से अधिक बातें कीं, फिर भी उनका मन नहीं भरा, न हमारा, लेकिन हम उनकी व्यस्तता और एक-एक पल की कीमत जानते थे। उन्हें फिर से चरण स्पर्श कर वापस आ गए। मुझे गर्व हो रहा था उस पर्ची पर जिसने इतने गौरवाशाली पलों को उपलब्ध कराया। मुलाकात हुए एक लंबा समय बीत गया। अभी आठ सितंबर को उनके जन्मदिन पर वे यादें फिर ताजा हो गईं।

आशाजी के बारे में बता दूं कि आठ सितंबर 1933 को जन्मी पार्श्व गायक आशा भोसले जी 1000  से अधिक फिल्मों में 12,000 से अधिक गीत गा चुकी हैं। वे विभिन्न भाषाओं में फिल्म संगीत, पॉप गीत और पारंपरिक गीत गाती हैं। भारतीय संगीत इतिहास के सबसे प्रेरणादायक और सम्मानित गायकों में से वे एक हैं। अभी भी गा रही हैं। मैं उनके स्वस्थ रहते हुए दीर्घजीवन की कामना करता हूं।

*आदर्श नन्दन गुप्त*

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